गणतन्त्र दिवस ( 26 जनवरी )
गणतन्त्र दिवस ( 26 जनवरी )
रूपरेखा - 1 ) प्रस्तावना , ( 2 ) गणतंत्र दिवस का इतिहास , ( 3 ) समारोह , ( 4 ) पर्व का महत्व , ( 5 ) उपसंहार ।
1 . प्रस्तावना - मानव - जीवन में पर्व एवं त्योहारों का विशेष महत्त्व है । ये पर्व और त्योहार हमारे जीवन में नयी स्फूर्ति और चेतना उत्पन्न करते हैं तथा नयी प्रसनता तथा उल्लास लाते हैं । होली , दीपावली , विजयादरामी , ईद , बड़ा दिन आदि भारत के प्रमुख त्योहार है । इन्हें सामाजिक रूप से मनाते हैं । इन त्योहारों पर सम्पूर्ण समाज में उल्लास की लहर दौड़ जाती है । किन्तु राष्ट्रीय पर्यों से सारे राष्ट्र में एक नवीन स्फूर्ति और चेतना का विकास होता है । इसका प्रभाव समस्त राष्ट्र पर पड़ता है । अतः इन पर्वो को सारे राष्ट्र में बड़े उल्लास के साथ मनाया जाता है । गणतन दिवस तथा स्वतन्त्रता दिवस हमारे राष्ट्रीय पर्व हैं । अपने राष्ट्रीय चरित्र के कारण इन दोनों पर्यों का बड़ा महत्व है ।
2 . गणतंत्र दिवस का इतिहास - 15 अगस्त , 1947 ई० को हमारा देश स्वतन्न हुआ । हमारे देश के नेताओ ने यह निश्चय किया कि देश में प्रजातन्त्रीय प्रणाली को अपनाना चाहिए । प्रत्येक पाँच वर्ष के बाद चुनाव सवाये जाय और चुने हुए प्रतिनिधि शासन करें , अतः एक विधान बनाया गया । डॉ० भीमराव अम्बाडकर देशव में इस संविधान का निर्माण किया गया और 26 जनवरी 1950 को विधान निर्मात्री - परिषद् की स्वायत के बाद लागू कर दिया गया । उसी दिन हमने भारत को एक गणतन्त्र घोषित कर दिया । इस प्रकार 26 जनवण , 195010 को कमिस दल के द्वारा रावी के तट पर की गयी घोषणा साकार हुई ।
3 . समारोह - गणतन्त्र दिवस का आयोजन भारत की राजधानी दिल्ली में हर वर्ष 26 जनवरी को होता है । इसके अतिरिक्त यह उत्सव राज्यों की राजधानियों , प्रत्येक शहर तथा गाँव में बड़ी धूमधाम आर उत्साहपूर्वक मनाया जाता है । सभी विद्यालयों में राशीय जज फहराया जाता है तथा विविध सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं । बच्चों को मिठाई वितरित की जाती है । इस दिन दिल्ली नगरी तो दुल्हन की तरह सजायी जाती है । राष्ट्रपति की सवारी को देखने के लिए भारत के ही नहीं अपितु विदेशों से भी लोग आते हैं । सवारी में अनेक झांकियां होती हैं जिनसे भारत की संस्कति और एकता का परिचय मिलता है । सवारी के आगे पुलिस के सिपाही चलते हैं तथा सेना के बैण्ड मार्च पास्ट करते हुए साथ - साथ चलत हा बल , थल आर नभ सेनाओं की टकड़ियों का राष्ट्रपति निरीक्षण करते हैं और उनका अभिवादन स्वाकार करते हैं । वायुयान आकाश में तिरंगा रंग बिखेरते हए फल बरसाते हैं । राष्ट्रपति को तोपों की सलामी दी जाती है । इस समारोह को देखनेवाला उसे सदैव याद रखता है । गणतन्त्र दिवस की पूर्व संध्या को राष्ट्रपति राष्ट्र के नाम सन्देश प्रसारित करते है जो भारत के सभी आकाशवाणी केन्द्रों द्वारा रिले किया जाता है । यह सन्देश भारतीयों के लिए प्रेरणास्पद होता है तथा भारत की प्रगति का विश्लेषण करनेवाला होता है । इस अवसर पर लाल किले में एक वृहत् कवि - सम्मेलन भी होता है । इसमें सभी भारतीय भाषाओं के प्रतिनिधि कवि आमंत्रित किये जाते हैं जो अपनी राष्ट्रीय कविताओं से हमारे हृदय को आन्दोलित एवं देश - प्रेम की भावनाओं से सराबोर कर देते हैं । इस अवसर पर भारत सरकार अपने देश के प्रसिद्ध कलाकारों , समाज - सेवियों , शिक्षाविदों , सैनिकों और खिलाड़ियों को अलंकरणों से अलंकृत भी करती है । राशि के समय सारे सरकारी भवन रोशनी से जगमगा उठते हैं । जनता भी अपने घरों पर रोशनी करती है और उस समय दीपावली जैसा दृश्य उपस्थित हो जाता है ।
4 . पर्व का महत्व - गणतन्त्र दिवस का राष्ट्रीय दृष्टि से बड़ा महत्व है । यह दिन हमें उन असंख्य बलिदानियों का स्मरण कराता है जिनके बलिदान से यह स्वतन्त्रता हमें प्राप्त हुई है । लम्बे संघर्षों के परिणाम ही यह स्वतन्त्रता हमें मिली है , अतः यह हमारे लिए बड़ी मूल्यवान है । यह हमें सचेत करती है कि हम कोई पेसा कार्य न करें जिससे उसे खतरा पैदा हो जाय । इसके अतिरिक्त हमें इस बात का भी ज्ञान कराता है कि अब हमने जनसीय व्यवस्था अपना ली है जिसमें प्रत्येक व्यक्ति को गौरवपूर्ण स्थान प्राप्त है । हमें जागरूक रहना और देशवासियों को भी जागरूक रखना है ।
5 . उपसंहार - यह उत्सव हमें प्रेरणा दताहक भाषा , धर्म , रंग , जाति , वर्ण के अनेक भेद - भाव हमारे देश में भले ही मौजूद हों , फिर भी हम सब एक है । ये विभिन्नता वो हमारी महानता , उदारताप सारे लड़ाई , झगड़े , मतभेद और विरोध समाप्त हो जायेंगे । यदि हम इन विविधताओं के सौन्दर्य को समझने लगे , उससे आनन्द प्राप्त करने लगें तो हमारे भावना भरेगा , अतः देश की रक्षा की आर ध्यान रखना हमारा पुनीत कर्तव्य है ।
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